Tuesday, 4 March 2014

ghazal of jagjeet singh


ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी

मुहल्ले की सबसे निशानी पुरानी
वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी
वो नानी की बातों में परियों का डेरा
वो चहरे की झुरिर्यों में सदियों का फेरा
भुलाये नहीं भूल सकता है कोई
वो छोटी सी रातें वो लम्बी कहानी

कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिड़िया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना
वो गुड़िया की शादी में लड़ना झगड़ना
वो झूलों से गिरना वो गिर के सम्भलना
वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफ़े
वो टूटी हुई चूड़ियों की निशानी

कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना
घरोंदे बनाना बना के मिटाना
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी
न दुनिया का ग़म था न रिश्तों के बंधन
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी





नशा छोडो। आज ही छोडो॥


### पूरा पढे। जरूर पढे। ###

शराब, गांजा और भांग सहित हर प्रकार के मादक द्रव्यों का नशा इंसान को तबाही की ओर ले जाता है। कहा भी गया है कि जीवन अनमोल है। नशे के सेवन से इंसान का यह अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है।

नशा एक ऐसी बुराई है जो व्यक्ति को तन-मन-धन से खोखला कर देता है। इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जाती है। इस बुराई को समाप्त करने के लिए शासन के साथ ही समाज के हर तबके को आगे आना होगा। यह चिंतनीय है कि जबसे बाजार में गुटका पाउच का प्रचलन हुआ है, तबसे नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। आज बच्चे से लेकर बुजुर्ग भी गुटका पाउच के चपेट में है। यह अत्यंत दुखद है कि नशा करने वाला हर व्यक्ति जानता है कि नशे की आदत उसके लिए नुकसानदायक है, बावजूद इसके इस प्रवृत्ति में लगातार बढ़ोतरी देखी जा सकती है। राज्य शासन द्वारा नशे के विरूध्द जागरूकता लाने के लिए विगत छह जून को नशामुक्ति महारैली का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रदेश के 18 जिले के 146 विकासखंड और उससे संबध्द गांवों के जनप्रतिनिधि, शैक्षिक संस्थाएं, महिला स्वसहायता समूह और जनसामान्य बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए थे।

नशे के लिए समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम और धूम्रपान सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में ज्यादातर तम्बाखू के विभिन्न रूप- जर्दा, गुटखा, खैनी, तंबाखू पेस्ट, मंजन, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम और शराब का प्रचलन देखने को मिलता है। इन जहरीले और नशीले पदार्थों से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि के साथ-साथ सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है। समाज में पनप रहे विभिन्न प्रकार के अपराधों का एक कारण नशा भी है। नशे की प्रवृत्ति में वृध्दि के साथ-साथ अपराधियों की संख्या में भी वृध्दि हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शराब को छोड़कर दुनिया में लगभग पांच करोड़ लोग मादक पदार्थों के सेवन से जुड़े हैं। एक अनुमान के अनुसार छत्तीसगढ़ में भी लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या किसी न किसी प्रकार के नशापान करने की आदि है।

नशा किसी भी प्रकार का हो उससे शरीर को भारी नुकसान होता है, पर आजकल के नवयुवक शराब और धूम्रपान को फैशन और शौक के लिए उपयोग में ला रहे हैं, यह अत्यंत गंभीर और चिंतनीय विषय है। इन युवाओं को अपने स्वास्थ्य की चिंता करते हुए यह जानना चाहिए कि धूम्रपान से फेफडे नष्ट हो जाते हैं और इसके सेवन से कैंसर तक होता है। इसी तरह तंबाखू के सेवन से तपेदिक, निमोनिया और सांस की बीमारियों सहित मुख फेफडे और गुर्दे में कैंसर होने की संभावनाएं रहती हैं। इससे चक्रीय हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की शिकायत भी रहती है। अधिक शराब सेवन से लिवर खराब हो जाता है, जबकि अफीम, चरस, हेरोइन तथा स्मैक आदि से व्यक्ति पागल तथा सुप्तावस्था में हो जाता है। कोकीन, चरस, अफीम से ऐसे उत्तेजना लाने वाले पदार्थ है जिसके प्रभाव में व्यक्ति अपराध कर बैठता है। यदि हमारे आस-पास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो उसका बुरा प्रभाव भी हमारे शरीर पर पड़ता है। इसलिए न खुद धूम्रपान करें और न ही किसी को करने दे।

धुआं रहित तंबाकू अर्थात् सुंघनी, गुड़ाखू, गुटका वाले तम्बाखू की आदत से हृदय रोग हो सकता है जबकि धूम्रपान छोड़ने के एक वर्ष बाद धमनी के हृदय रोग का खतरा 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है और इसका लाभ जारी रहता है। फेफड़े के कैंसर, पुराने अवरोधक, फेफड़े के रोगों और आघात का खतरा अपेक्षाकृत घट जाता है। पर घटने का क्रम बहुत ही धीरे-धीरे होता है। इसी तरह धूम्रपान बंद करने के 10 से 14 वर्षों के बाद कैंसर से मृत्यु का खतरा काफी कम हो जाता है। नशीले पदार्थों के सेवन से शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आर्थिक दुष्प्रभाव हो रहे हैं। इन पदार्थों से छुटकारा दिलाने के लिए पीड़ित व्यक्तियों का उपचार आवश्यक है।

मॆ आप सभी दोस्तो से हाथ जोडकर विनम्र निवेदन करता हू । कि खुद को इन जानलेवा बिमारियो से बचाए।
ऒर दुसरो को इन से होने वाली हानियो से अवगत कराए।

ऒर सबसे आसान तरीका हॆ। कि इस पोस्ट को अपने दोस्तो मे शेयर करे।
हॊ सकता हॆ आपके द्वारा उठाया एक छोटा सा कदम किसी की जिँदगी बदल दे॥

‪#‎शहजाद_सॆफी‬
 —

Wednesday, 19 February 2014

गरीबी


एक मासूम बच्ची मिली थी मुझे पत्थर तोड़ती हुई
पेट की भूँख मिटाने के लिये कुछ पैसे जौड़ती हुई
एक मासूम बच्ची मिली थी मुझे पत्थर तोड़ती हुई

रुखे बाल चेहरे पर भोलापन आँखोँ मेँ रोटी के लिये तड़प
अपने जीवन को कोसती हुई
इक मासूम बच्ची मिली थी मुझे पत्थर तोड़ती हुई

ना खिलौनोँ की तमन्ना थी उसे ना ही गुड्डे गुड़ियोँ का शौक
वो तो जिन्दा थी बस रोटी के लिये अपने बचपन को बेचती हुई
इक मासूम बच्ची मिली थी मुझे पत्थर तोड़ती हुई

उसके भी थे कुछ सपने
पढ़ लिखकर वो भी बनना चाहती थी ऑफीसर
लेकिन साथ ना दिया किसी ने वो मिली मुझे भूँख के लिये सपनोँ को छोड़ती हुई
एक मासूम बच्ची मिली थी मुझे पत्थर तोड़ती हुई !

Tuesday, 11 February 2014

महत्व

बड़ा महत्व हे
ससुराल में साली का
बाग़ में माली का
होंठो में लाली का
पुलिस में गाली का
मकान में नाली का
कान में बाली का
पूजा में थाली का
खुशी में ताली का-------बड़ा महत्व है,
फलों में
आम का
भगवान में राम का
मयखाने में जाम का
फैक्ट्री में काम का
सुर्ख़ियों में नाम का
बाज़ार में दाम का
मोहब्ब्त में शाम का-------बड़ा महत्व
है,
व्यापार में घाटा का
लड़ाई में चांटा का
रईसों में टाटा का
जूतों में बाटा का
रसोई में आटा का------बड़ा महत्व है,
फ़िल्म
में गाने का
झगड़े में थाने का
प्यार में पाने का
अंधों में काने का
परिंदों में दाने का------बड़ा महत्व है,
ज़िंदगी में मोहब्ब्त का
परिवार में इज़ज़त का
तरक्की में किसमत का
दीवानो में हसरत का-------बड़ा महत्व
है,
पंछियों में बसेरे का
दुनिया में सवेरे का
डगर में उजेरे का
शादी में फेरे का--------बड़ा महत्व है,
खेलों में
क्रिकेट का
विमानों में जेट का
शारीर में पेट का
दूरसंचार में नेट का--------बड़ा महत्व है,
मौजो में किनारो का
गुर्वतों में सहारों का
दुनिया में नज़ारों का
प्यार में इशारों का--------बड़ा महत्व
है,
खेत में फसल का
तालाब में कमल का
उधार में असल का
परीक्षा में नकल का-------बड़ा महत्व
है,
ससुराल में जमाई का
परदेश में कमाई का
जाड़े में रज़ाई का
दूध में मलाई का ------बड़ा महत्व है,
बंदूक में
गोली का
पूजा में रोली का
समाज में बोली का
त्योहारों में होली का
श्रृंगार में चोली का-------बड़ा महत्व
है,
बरात में दूल्हे का
हड्डियों में कूल्हे का
रसोई में चूल्हे का---------बड़ा महत्व है,
सब्जियों में आलू का
बिहार में लालू का
मशाले में बालू का
जंगल में भालू का
बोलने में तालू का-----------बड़ा महत्व
है,
मौसम में सावन का
घर में आँगन का
दुआ में दामन का
लंका में रावन का------------बड़ा महत्व
है,
चमन में बहार का
डोली में कहार का
खाने में अचार का
मकान में दीवार का--------बड़ा महत्व
है,
सलाद में मूली का
फूलों में जूली का
सज़ा में सूली का
स्टेशन में कूली का---------बड़ा महत्व है,
पकवानों में पूरी का
रिश्तों में दूरी का
आँखों में भूरी का
रसोई में छूरी का------बड़ा महत्व

Monday, 10 February 2014

Ek Martaba Ek Budhi MAA Apne

Jawaan Bete Ke Saath Ek Jagah Par Baithi Thi,

MAA Ne Ek Kabutar Ke Jhund Ki

Taraf Ishara Kiya Aur Pucha BETA

Yeh Kya Hai ? ? ?

BETE Ne Jawab Diya KABUTAR.

Thodi Der Baad MAA Ne fhir Puchha, Beta Yeh Kya Hai ? ? ?

Bete Ne Kaha Yeh Kabutar Hai,

Fhir Se MAA Ne Puchha Beta Ye Kya Hai ? ? ?

Is Baar Beta chaila kar Zor Se Bola Kitni Baar Kahu Ye ki Kabutar Hai,

Ye Sunkar MAA Ki Aankho Se

Aasu Nikal Aaye, fhir MAA Ne Pyaar Se Uske Sar Pe Haath Rakha Aur Kaha :

"BETA Jab Tu 3 Saal Ka Tha Tab Isi Jagah Par Tune Mujh Se Yehi

Sawal 100 Martaba Pucha Tha,

Aur Maine Bhi 100 Martaba Tera

Matha Chum Kar Tujhe 100

Martaba yehi Jawab Diya Tha,


Kuch Log Apni MAA Se Kehte Hai Ki Maa Tu Kuch Nahi Samajhti,

Maa Tumhe Kuch Paata Nahi

Tumhe Aisa Nahi Karna Chahiye,

Unhe Yeh Baat Nahi Bhulna Chahiye Ki Unki Maa Us Waqt Bhi

Unki Baat Samajh Jaati Thi,

Jab Uski zubaan Ne Kuch Sikha Bhi Na Tha,

Sirf Apne Isharo Se Wo Unki Bhukh Pyaas Ka Andaza Laaga Laeti Thi,

.

KHUDA Ne Bhi MAA Ki Kya Misaal Di hai,

Jannat utha kar Maa ke Kadmo me Daal di

Shahzad saifi shayri


मे अखबार नही,जो दुसरे दिन पुराना हो जांउ,,,

जिंदगी का वो पन्ना हुं,जहां लम्हे ठहर जाते है...

मे अखबार नही,जो दुसरे दिन पुराना हो जांउ,,,

जिंदगी का वो पन्ना हुं,जहां लम्हे ठहर जाते है...

माँ

  1. #‎माँ‬ 
  2. "सच्चाई होंठों पे और शाने पे सर वाकी है।
  3. 'माँ' अभी तेरी दुआओं का असर वाकी है।।

charthawal shahzad saifi

म